By: Pt. Ajai Bhambi
131
ISBN: 9788186685471
Number of pages: 332
Weight: 430 grams
Dimensions: 21.59 X 13.97 X 1.905 cm
Binding: Paperbackज्योतिष का उद्गम गुफा मानव के साथ ही हुआ, जो बाद में वेदों में प्रकट हुआ। गुफा मानव आरंभ से ही महान खोजी, आविष्कारक, मानव व्यवहार का अध्येता, विचारक व वैज्ञानिक था, उसे चीजों को समझने में काफी समय लगा किंतु अपने अध्ययन के परिणामस्वरूप वह न केवल मानव व्यवहार के विषय में निश्चयात्मक विचार बनाने में सफल हुआ अपितु उसने मानवीय संवेदनाओं को समझने की कला को भी जानने का प्रयास किया। क्या है जो उसे सहज ही क्रोध के वशीभूत कर देता है? उसे अपना जीवनसाथी सुंदर क्यों प्रतीत होता है? उसके संगी-साथी क्यों एक दूसरे से भिन्न स्वभाव के हैं? कुछ प्रसन्न, कुछ खिन्न, कुछ बुद्धिमान, कुछ कुंद। क्यों वह समय-समय पर अपने विचारों में परिवर्तन अनुभव करता है। उसने अपने परिवेश को देखा व उसका अध्ययन किया, कैसे कुछ फूल दिन में अपनी पंखुडियों को खोल देते हैं तथा रात को समेट लेते हैं। मार्गदर्शन के लिए उसने आकाश को देखा व उसका अध्ययन किया। शीघ्र ही उसने राशिचक्र व मानव के बीच संबंधों का अध्ययन किया। जैसे-जैसे उसने आकाश के अध्ययन में कदम बढ़ाए तो पाया कि असंख्य अकाशीय पिंडो की गति के पीछे निश्चित व्यवस्था है जिसके द्वारा उसकी गति को समझा जा सकता है। उसने जाना कि ग्रह नियमबद्ध रूप से आकाश में गति करते हैं तथा पृथ्वी और उसके जीवन पर इनका प्रभाव पड़ता है। वह जानने लगा कि कब ज्वार-भाटा से समुद्र का जल उठे-गिरेगा और कब उसके परिवेश में समयानुसार परिवर्तन होकर वसंत, ग्रीष्म व शरद ऋतु का आगमन होगा तथा उसने जाना कि इन आकाशीय पिंडों का मानव व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार गुफा मानव ने सभ्यता की ओर कदम बढ़ाए। ब्रह्मांड व उसमें निहित तत्वों का ज्ञान अपने चरमोत्कर्ष पर था जबकि उसने उन्हें वेदों में संग्रहित किया, अतः वेद विश्व के समस्त ज्ञान का अक्षय भंडार हैं जिनमें ज्योतिष को नेत्र कहा गया है जिसके द्वारा व्यक्ति सबको देख व समझ सकता है। पृष्ठ दर पृष्ठ मैने उन्हीं रहस्यों को इस पुस्तक में खोलने का प्रयास किया है जिसे हम ‘ज्योतिष के रहस्य’ का नाम दे सकते हैं।
Quantity :